Chintan Ka Sandhi Vichchhed: हिंदी भाषा में कई ऐसे शब्द है जिनका संधि विच्छेद करने पर अलग-अलग प्रकार के दो शब्द बन जाते हैं और उनके संधि सम्मेलन से ही नए शब्द की उत्पत्ति होती है। संधि विच्छेद करने पर चिंतन शब्द एक या दो अर्थ बनते हैं या क्या दो युग्म में बनते हैं। चिंतन का संधि विच्छेद क्या होता है? (Chintan Ka Sandhi Vichchhed) इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं।

चिंतन क्या होता है
चिंतन एक ज्ञानात्मक प्रक्रिया है। इसका आधार प्रत्यक्षीकरण और स्मृति होता है। यह प्रक्रिया किसी समस्या के उपस्थित हो जाने के कारण प्रारंभ होती है। और उसके अंत तक चलती है। आमतौर पर चिंतन को सीखना कहते हैं। चिंतन व्यक्ति का प्रतीकात्मक व्यवहार है। चिंतन के विकास हेतु बच्चों में करके सीखने की प्रक्रिया जागृत करना अत्यंत आवश्यक है।
गिलफोर्ड के अनुसार – चिंतन एक तरह से प्रतीकात्मक व्यवहार होता है। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के प्रतिस्थापन से संबंध बने होते हैं। गिलफोर्ड ने चिंतन को इस तरह से वर्णित किया है।
चिंतन को अंग्रेजी में थिंकिंग कहते हैं कल्पना को इमेज जैसन भी कह सकते हैं। चिंतन एक ऐसी प्रक्रिया है व्यक्ति अपने मन में कोई न कोई बात अक्सर सोचता रहता है। किसी ने किसी बात का जिक्र अपने मन में करने पर उसे चिंता कहते हैं और इस प्रक्रिया को चिंतन कहा जाता है। चिंतन का संधि विच्छेद जिसमें चिम् + तन मिलकर चिंतन का निर्माण करते हैं।
एक आंकड़े से ऐसा पता चला है कि भारत देश में चिंतन का विषय बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है हर व्यक्ति किसी न किसी चिंता में डूबा हुआ है व्यक्ति के द्वारा की जाने वाली चिंता की प्रक्रिया ही चिंतन कहलाती है
चिंतन का संधि विच्छेद क्या होता है? Chintan Ka Sandhi Vichchhed
चिंतन का संधि विच्छेद क्या होता है?(Chintan Ka Sandhi Vichchhed): इसके बारे में जानकारी लेने का प्रयास हर कोई व्यक्ति करता है चिंतन का संधि विच्छेद क्या है? इसके बारे में जानकारी हम आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं
चिम् + तन : चिंतन
इस संधि विच्छेद में चिम् का म् जो न् में बदल जाता है और इस प्रकार से चिंतन शब्द का निर्माण होता है
चिंतन-मनन का अर्थ | शब्द युग्म में अंतर
(A) सोचे जाने वाली बात – मन की बात
(B) किसी प्रश्न के विभिन्न पक्षों पर विचार – मूलभूत बातों का हृदयंगम
(C) समूह की चर्चा – एक व्यक्ति का कथन
(D) इनमें से कोई नहीं
चिंता और चिंतन में अंतर
जो व्यक्ति किसी भी बात को लेकर अपने मन में सोचता रहता है। तो उसे चिंता कहते हैं और दूसरी तरफ लंबे समय तक व्यक्ति के द्वारा किसी एक बात को मन में बार बार सोचा जाता है, तो उसे चिंतन कहा जाता है। चिंता और चिंतन दोनों एक दूसरे से संबंधित होते हैं। चिंता से ही चिंतन की प्रक्रिया उत्पन्न होती है।
हर मनुष्य चिंता से घिरा होता है मनुष्य को अपने शादी की चिंता अपने परिवार के खर्चों की चिंता अपने स्वास्थ्य की चिंता अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिंता कर्ज की चिंता हमेशा रहती है। दूसरी तरफ चिंतन जो मनुष्य को कहीं ना कहीं चिंता से मुक्त करने में भी मदद करता है। कहने का मतलब यह है, कि चिंतन करने से व्यक्ति कई बार चिंता मुक्त भी हो जाता है।
निष्कर्ष
आज के आर्टिकल में हमने आपको चिंतन का संधि विच्छेद क्या होता है?( Chintan Ka Sandhi Vichchhed) इसके बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को हमारे इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई भी सवाल है, तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।
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