लिंग की परिभाषा क्या है? लिंग के प्रकार एवं उदाहरण(Ling ki Paribhasha): हिंदी व्याकरण में लिंग एक महत्वपूर्ण इकाई है। लिंग दो प्रकार के होते है। लिंग का प्रयोग हर जगह होता है। लिंग हिंदी व्याकरण में एक विशेष भूमिका निभाते है। हिंदी व्याकरण तो ऐसे बहुत ही लम्बी छोड़ी है। लेकिन हिंदी व्याकरण की सभी शाखाओ को अलग-अलग रखा गया है।
जिसमे लिंग भी हिंदी व्याकरण की एक शाखा है। आज के आर्टिकल में हम आपको लिंग की परिभाषा क्या है? (Ling ki Paribhasha) लिंग के प्रकार और लिंग के उदाहरण के बारे में डिटेल में जानकारी देने वाले है। चलिए आपको आज ले चलते हैं हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझाने। व्याकरण में लिंग बहुत महत्वपूर्ण है। तथा हिंदी भाषा में लिंग सूचक शब्द रूपों का बहुत महत्व है, प्रत्येक शब्द का पुल्लिंग या स्त्रीलिंग होना अनिवार्य है।
लिंग का तात्पर्य ऐसे प्रावधानों से किया गया है जिसके द्वारा हमें कोई वर्णित वस्तु या व्यक्ति पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का है तथा लिंग के द्वारा संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों की जाति का भी बोध होता है लिंग का शाब्दिक अर्थ है- निशान के साथ पहचान का साधन , शब्दों के जिस रूप से यह जाना जाता है, कि कोई वर्णित वस्तु या व्यक्ति पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का।
लिंग क्या है? लिंग के प्रकार एवं उदाहरण | Gender in Hindi
हिंदी व्याकरण में जिस प्रकार से संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, कारक जैसे इन सबका बहुत बड़ा रोल है, उसी तरह लिंग भी हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। तो आइए समझते हैं हिंदी व्याकरण के लिंग के प्रकार उदाहरण सहित। लिंग संज्ञा का गुण है, यानी हर संज्ञा शब्द या तो पुल्लिंग होगा या फिर स्त्रीलिंग होगा। लिंग को समझने के लिए हम को सबसे पहले लिंग की परिभाषा को समझना अति आवश्यक है। तो आइए जानते हैं लिंग की परिभाषा क्या है।
लिंग की परिभाषा (Ling ki Paribhasha)
लिंग शब्द का अर्थ होता है, चिह्न या पहचान करना यानी किसी चीज की पहचान करना,व्याकरण के अंतर्गत उसे लिंग कहते हैं, जिसके द्वारा किसी भी विकारी शब्द के स्त्री या पुरुष जाति होने का ज्ञान होता है, या संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का ज्ञान हो उसे हिन्दी व्याकरण में लिंग कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते हैं।
विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार के लिंग व्यवस्था होती है। लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ होता है निशान या पहचान से।
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लिंग के प्रकार
हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं, जबकि संस्कृत भाषा में लिंग तीन प्रकार के होते हैं, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग।
हिंदी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं। (Ling Ke Parkar)
(1) पुल्लिंग
(2) स्त्रीलिंग।
पुल्लिंग
जिससे अविकारी शब्दों के पुरुष जाति का ज्ञान होता है, यानी वे संज्ञा शब्द जो हमें पुरुष जाति का ज्ञान कराते हैं अथवा पुरुषत्व का ज्ञान कराने वाले शब्दों को पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे- घोड़ा, आदमी, लड़का, मकान, फूल, पेड़, कुत्ता, बकरा, ऊंट, पानी आदि।
चलो कुछ पुल्लिंग शब्द के उदाहरण ले लेते हैं।
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कुछ पुल्लिंग शब्द एवं उसका वाक्य में प्रयोग
- घी- सब्जी मैं थोड़ा घी ले लो मिर्ची कम लगेगी।
- आइना- क्या बात है आज आईना बड़ा साफ नजर आ रहा है।
- स्वास्थ्य- नियमित योगा करने से स्वास्थ्य स्वस्थ रहता है।
- अनार- अनार खाने से शरीर में खून बढ़ता है।
- आँसू- प्याज काटते वक्त मेरी आंखों में आंसू आ गए।
- क्रोध- क्रोध करना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं रहता है।
- घड़ा- घड़ा पानी से भर दो।
- दाग- सब्जी गिरने से मेरे कपड़ों पर दाग लग गए।
पुल्लिंग के उपवाद
हिंदी व्याकरण में हर जगह सभी नियम सही से फोलो नही होते है उनके उपवाद जरुर देखने को मिलते है पुल्लिंग के अपवाद कुछ इस प्रकार से है:
- पक्षी
- दिल्ली
- फरवरी
- एवरेस्ट
- मोतिया
स्त्रीलिंग
जिस विकारी शब्दों से स्त्री जाति का ज्ञान होता है,या संज्ञा के ऐसे शब्द जो में स्त्री जाति का ज्ञान कराते हैं अथवा स्त्रीत्व का ज्ञान कराने वाले शब्दों को स्त्रीलिंग कहते हैं।
जैसे- माता, अध्यापिका, काली, लड़की, घोड़ी, गाय, मुर्गी, बहन, लक्ष्मी, उर्मिला, विमला, राधिका, अलमीरा, मटकी, बाल्टी, आदि।
चलो कुछ स्त्रीलिंग शब्द के उदाहरण ले लेते हैं।
कुछ स्त्रीलिंग शब्द एवं उसका वाक्य में प्रयोग
- चिड़िया- मुझे आकाश में चिड़िया उड़ती हुई दिखाई दे रही है।
- चमक- तुम्हारी कमीज में वह पहले वाली समक अब नहीं रही है।
- धूप- आज धूप बहुत तेज है।
- सब्जी- आज सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनी।
- पेंसिल- छोटे बच्चों को हमेशा पेंसिल से लिखना चाहिए।
- किताब- किताब हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है।
- आंखे- उसकी आंखें कमजोर हो गई।
- गंगा- गंगा नदी सबसे पवित्र नदी है।
- तबीयत- कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी।
- साईकिल- मेरी साइकिल अब बहुत पुरानी हो गई है।
लिंग की पहचान के नियम (Gender Rules In Hindi)
लिंग की पहचान हमेशा शब्दों के व्यवहार से होती है।
कुछ लिंग सदा पुल्लिंग रहते हैं, तो कुछ सदैव स्त्रीलिंग रहते हैं।
जैसे
- दिनों एवं महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे- सोमवार, चैत्र, अगस्त आदि।
- पर्वतों के पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे- हिमालय, बबूल, नीम, आम आदि।
- अनाजों एवं कुछ द्रव्य पदार्थों के नाम पुल्लिग होते हैं, जैसे- चावल, गेहूं, तेल, घी, दूध आदि।
- ग्रहों एवं रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे- सूर्य, चंद्र, पन्ना, हीरा, मोती, आदि।
- कुछ अंगों के नाम और देवताओं के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे- कान, हाथ, सिर, इंद्र, वरुण, पैर, आदि
- कुछ धातुओं एवं समयसूचक नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे- सोना, लोहा, तांबा, क्षण, घंटा, आदि।
- समुद्रों के नाम पुल्लिंग होते हैं,जैसे प्रशांत महासागर, अरब सागर, हिंद महासागर, लाल सागर आदि।
- भाषाओं के नाम लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे- हिन्दी, उर्दू, जापानी, देवनागरी, अरबी, गुरुमुखी, पंजाबी, आदि।
- नदियों एवं तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे- गंगा, यमुना, प्रथमा, पंचमी, चतुर्थी, नवमी, लुणी, गोदावरी आदि।
- लताओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे- मालती, अमरबेल आदि।
- हथियारों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे तलवार, तोप, बंदूक, गोली, गदा आदि।
- प्राणियों के नाम कुछ स्त्रीलिंग होते हैं जैसे, कोयल, चील, मैना, मछली, गैलहरी आदी।
तो दोस्तों यहां तक आपको लिंग की परिभाषा और लिंग कितने प्रकार के होते हैं, लिंग की पहचान के नियम यह सब समझ आ गए होंगे, अब आप को समझाते हैं लिंग परिवर्तन के नियम। लिंग परिवर्तन कैसे होता है ,किस नियम से लिंग परिवर्तन होता है आदि।
लिंग परिवर्तन के उदहारण
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के कतिपय नियम इस प्रकार है-
(1) शब्दांत ‘अ’ को ‘आ’ में बदलकर
- छात्र- छात्रा
- पूज्य- पूज्या
- भवदीय- भवदीया
- अनुज- अनुजा
- सुत- सुता
- वृद्ध- वृद्धा
- महोदय- महोदया
(2) शब्दांत ‘अ’ को ‘ई’ में बदल कर
- देव- देवी
- पुत्र- पुत्री
- गोप- गोपी
- ब्राह्मण- ब्राह्मणी
- मेंडक- मेंडकी
- दास- दासी
- नर- नारी
(3) शब्दांत ‘आ’ को ‘ई’ में बदलकर
- नाना- नानी
- लड़का- लड़की
- घोड़ा- घोड़ी
- बेटा- बेटी
- रस्सा- रस्सी
- मामा- मामी
- चाचा- चाची
(4) शब्दांत ‘आ’ को ‘इया’ में बदलकर
- कुत्ता- कुतिया
- बूढ़ा- बूढिया
- चूहा- चुहिया
- डिब्बा- डिबिया
- बेटा- बेटिया
- लोटा- लुटिया
(5) शब्दांत प्रत्यय ‘अक’ को ‘इका’ में बदलकर
- बालक- बालिका
- लेखक- लेखिका
- नायक- नायिका
- पाठक- पाठिका
- गायक- गायिका
(6) ‘आनी’ प्रत्यय लगाकर
- देवर- देवरानी
- चौधरी- चौधरानी
- सेठ- सेठानी
- भव- भवानी
- जेठ- जेठानी
- मथ- मथानी
- इन्द्र- इन्द्राणी
- नोकर- नोकरानी
- गुरु- गुरुआनी
- पंडित- पंडितानी
- मेहतर- मेहरानी
- रुह- रुहानी
(7) ‘नी’ प्रत्यय लगाकर
- शेर- शेरनी
- मोर- मोरनी
- जाट- जाटनी
- सिंह- सिहंनी
- ऊँट- ऊँटनी
- भील- भीलनी
- हाथी- हथनी
(8) शब्दांत मे ‘ई’ के स्थान पर ‘इनी’ लगाकर
- तपस्वी- तपस्विनी
- स्वामी- स्वामिनी
(9) ‘इन’ प्रत्यय लगाकर
- माली- मालिन
- चमार- चमारिन
- धोबी- धोबिन
- नाई- नाइन
- कुम्हार- कुम्हारिन
- सुनार- सुनारिन
(10) ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर
- चौधरी- चौधराइन
- ठाकुर- ठाकुराइन
- मुंशी- मुंशीयाइन
- गुप्त- गुप्ताइन
- वर्मा- वर्माइन
- मिश्र- मिश्राइन
(11) शब्दांत ‘वान्’ के स्थान पर ‘वती’ लगाकर
- गुणवान- गुणवति
- भगवान- भगवती
- बलवान- बलवती
- भाग्यवान- भाग्यवती
- सत्यवान- सत्यवती
- पुत्रवान- पुत्रवती
(12) शब्दांत ‘मान’ के स्थान पर ‘मती’ लगाकर
- श्रीमान- श्रीमती
- बुद्धिमान- बुद्धिमति
- आयुष्मान- आयुष्मति
(13) शब्दांत ‘ता’ के स्थान पर ‘त्री’ लगाकर
- कर्ता- कत्री
- नेता- नेत्री
- दाता- दात्री
(14) शब्द के पूर्व में ‘मादा’ शब्द लगाकर
- खरगोश-मादा खरगोश
- भालू- मादा भालू
- भेड़िया- मादा भेड़िया
(15) भिन्न रूप वाले कतिपय शब्द
- वर-वधु
- कवि- कवयित्री
- वीर- वीरांगना
- दूल्हा- दुल्हन
- राजा- रानी
- बादशाहा- बेगम
- मर्द-मऔरत
- नर- नारी
- पुरुष- स्त्री
- युवक- युवती
- विद्वान- विदुषी
- साधु- साध्वी
- बैल- गाय
- भाई- भाभी
- ससुर- सास आदि।
लिंग परिवर्तन
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
लड़का | लड़की |
पुरुष | महिला |
कुता | कुती |
गाय | बेल |
बन्दर | बंदरिया |
भैस | भैसा |
आदमी | औरत |
सेठ | सेठानी |
यवक | युवती |
साधू | साधवी |
भाई | भाभी |
ससुर | सास |
ननद | ननंदोई |
मामा | मामी |
नाना | नानी |
दादा | दादी |
दूल्हा | दुल्हन |
कवी | कवियत्री |
वर | वधू |
लेखक | लेखिका |
मालिक | मालकिन |
राजा | रानी |
शेर | शेरनी |
घोडा | घोड़ी |
गधा | गधी |
मोर | मोरनी |
सिंह | सिंहनी |
ऊठ | ऊठनी |
भील | भीलनी |
हाथी | हथनी |
कुमार | कुमारी |
लोहार | लोहारीन |
पाठक | पाठिका |
दास | दासी |
परोपकार | परोपकारिनी |
स्वामी | स्वामिनी |
तपश्वी | तपस्विनी |
बाल | बाला |
देवर | देरानी |
जेठ | जेठानी |
नोकर | नौकरानी |
चिड़ा | चिड़िया |
बकरा | बकरी |
चुःहा | चुहिया |
ब्राहमण | ब्रहामिनी |
बेटा | बेटी |
देव | देवी |
नाग | नागिन |
श्रीमान | श्रीमिती |
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लिंग की परिभाषा क्या है? (Ling ki Paribhasha)
लिंग की परिभाषा से सम्बंधित FAQ
लिंग की परिभाषा (Ling ki Paribhasha) क्या है?
लिंग कितने प्रकार का होता है?
स्त्रीलिंग के कोई दो उदाहरण कौन-कौनसे है?
पुल्लिंग के कोई दो उदाहरण कौन-कौनसे है?
नपुसक लिंग कोई दो उदाहरण कौन-कौनसे है?
निष्कर्ष
Ling In Hindi(लिंग की परिभाषा): हमें उम्मीद है कि आपको हमारे लिंग की परिभाषा क्या है? (Ling ki Paribhasha) आर्टिकल में लिंग पर जो जानकारी मिली है। वह आपको पसंद आई होगी, यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो और आपको हमारे आर्टिकल पढ़ने में रुचि हो तो आप हमसे जुड़े रह सकते हैं। हम इसी तरह आप को सरल भाषा में हर आर्टिकल उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे। हम कोशिश करेंगे कि भाषा बहुत आसान और सरल हो ताकि आपको बहुत अच्छे से आसानी से समझ आ सके।