CRR full Form In Hindi

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CRR full form in Hindi

CRR क्या है?

मित्रों बैंकिंग क्षेत्र एक विश्वव्यापी सुविधा है जो प्रत्येक इंसान के लिए बहुत ही जरूरी हो गया है यह विभिन्न प्रकार की सुविधाएं हमें प्रदान करता है बैंकों द्वारा सैकड़ों जनहितकारी योजनाएं निकाली जाती है नए-नए प्रकार की स्कीम निकाली जाती है ऋण संबंधित जानकारियां दी जाती है जरूरत के हिसाब से हमारी ऋण की पूर्ति होती है बैंकों की द्वारा अपना खाता खुलवा कर नकदी जमा करवाना या आरण करवाना सोने चांदी के जेवरात ओं को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर सुविधाएं उपलब्ध करवाना एक देश से दूसरे देश में मुद्रा ट्रांसफर करवाना बचत योजनाएं बीमा योजना जैसे सैकड़ों जनहितकारी योजनाएं या यूं कहें तो इसकी में बैंकों द्वारा हमारे कल्याण हेतु प्रदान की जाती है। इन सुविधाओं के बारे में कुछ लोगों को तो ज्ञान होता है परंतु कई ऐसे लोग हमारे बीच मौजूद हैं जिन्हें बैंकों द्वारा दी जाने वाली स्कीम के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं होती है और इसी कारण वह इन स्कीमों का फायदा नहीं ले पाते हैं अथवा वंचित रह जाते हैं।
चलिए हम आने वाले इस आर्टिकल के अगले भाग में हम आपको बताएंगे ऐसे ही बैंकों की कुछ स्कीमों में से एक खास स्कीम के बारे में या एक ऐसा कार्य जो बैंकों द्वारा हमारे लिए सुविधा प्रदाय है।
CRR full form in English : cash reserve ratio.

CRR full form in Hindi: नकद आरक्षित अनुपात.
चलिए आज हम बात करते हैं CRR क्या है?

CRR (cash reserve ratio) यह एक शर्ट और नियमों के तहत आने वाले बैंकों और रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के बीच की लेन देन होती है। सबसे पहले आपको बता दें कि साधारण सभी कंपनियों के जो भी बैंक हैं उन भारतीय बैंकों का एक सर्वोपरि बैंक होता है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) कहा जाता है। नकदी संबंधी सभी आहरण या जमा करने की प्रक्रिया रिजर्व बैंक द्वारा बनाए गए नियमों के आधार पर सभी बैंकों द्वारा की जाती है उन सभी बैंकों पर रिजर्व बैंक का पूरा नियंत्रण होता है जिसमें यह पाया जाता है की बैंकों को अपने कुल नगदी का एक निश्चित भाग रिजर्व बैंक के पास भी रखना होता है वह बैंक अपने पास अपनी कुल संपत्ति नहीं रख सकता जिसकी इजाजत रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) नहीं देता है जरूरत पड़ने पर वह रिजर्व बैंक से वह नकदी एक तय सीमा के आधार पर आहरण कर सकता है तथा उसे उसका एक निश्चित ब्याज चुकाना पड़ता है जिससे बैंकिंग भाषा में रिजर्व रेशों या नगद आरक्षित अनुपात कहा जाता है जो सीआरआर के नाम से बैंकिंग भाषा में काम आता है।

सीआरआर (cash reserve ratio) जैसी स्कीम का आम इंसानों पर भी प्रभाव पड़ता है अगर रिजर्व बैंक और बैंकों के बीच का सीआरआर बढ़ जाता है तो बैंकों का ज्यादा हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ता है जिसके कारण आम इंसान अगर बैंक में अपने खाते के आधार पर नगरिया हरण करने हेतु जाए तो उसे संभवत अपनी जरूरत के हिसाब से पूरा पैसा नहीं मिल पाता है क्योंकि रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने पहले ही उस बैंक का पैसा अधिक मात्रा में उन शर्तों के मुताबिक अपने पास जमा कर रखा होता है साथ ही जैसे-जैसे सीआरआर घट जाता है तब रिजर्व बैंक उन बैंकों को पहले से अधिक मात्रा में एक तय सीमा के आधार पर नगदी रखने की इजाजत दे देता है तथा आम इंसान अगर बैंक में अपना पैसा लेने जाए तो खाते के आधार पर उस व्यक्ति की नगदी संबंधित पूर्ति की जा सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) इन पैसों का नियंत्रण इसलिए करता है ताकि अन्य बैंकों के साथ साथ उन पैसों का आहरण भी नियंत्रित किया जा सके किसी भी बैंक के अधीन एक तय सीमा से अधिक पैसा जमा नहीं हो पाए उदाहरण के तौर पर आपको बताए तो अगर अमुक बैंक में तय सीमा से ज्यादा पैसा जमा हो जाए तो अन्य किसी ब्रांच में जरूरत पड़ने पर नकदी की कमी आ सकती है तब उस कमी को दूर करने के लिए अगर रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) पहले बैंक से पैसा नहीं वसूल है तो उस अन्य बैंक की शाखा में नगदी की पूर्ति नहीं करवा सकता है तथा नकदी की कमी आ जाएगी इस हेतु नकदी की जरूरत के अनुसार सभी बैंकों में पूर्ति करते रहना आरबीआई का मुख्य काम है और यह सीआरआर के तहत ही संपूर्ण कार्य किया जा रहा है। सीआरआर के नियम शर्ते होना बैंकों और रिजर्व बैंक के बीच में बहुत ही जरूरी है क्योंकि यह नगदी पूर्ति करने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाता है आरबीआई का मुख्य काम नगदी का नियंत्रण करना है वह आम लोगों द्वारा किए जाने वाले लेनदेन के आधार पर तय करता है कि किस बैंक की शाखा में कितना प्रतिशत तक नगदी देना सही है तथा उसी आधार पर आरबीआई उन बैंकों को पैसा वितरित करता है तथा इसी लेनदेन के आधार पर वह एक ते ब्याज दर भी उन बैंकों से वसूलता है।
सभी बैंकों की आरबीआई (Reserve Bank of India) के साथ नियम और शर्तों के आधार पर लेनदेन की जाती है जिसमें एक तय सीमा तक नगदी आरण की अनुमति आरबीआई बैंकों को देती है तथा उन बैंकों तक नगदी की कमी पूर्ति करती है अथवा अगर किसी बैंक में किसी समय नगरी आवश्यकता से अधिक जमा हो जाती है तो आरबीआई उन बैंकों से वह सीमा से अधिक जितना भी नगदी होगा वह अपने भंडारण में मंगवा लेता है ऐसा नहीं करने पर आरबीआई उन बैंकों पर अतिरिक्त चार्ज दंड स्वरूप प्रतिदिन के हिसाब से लेता है जो उन बैंकों को काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है इन नियमों को जानते हुए बैंक पहले ही अपनी सीमाओं के आधार पर उस नगरी को आरबीआई के पास जमा करवा देते हैं।
conclusion

इस आर्टिकल के माध्यम से हम ने सीआरआर (cash reserve ratio) को विस्तार पूर्वक जाना तथा बैंकों और आरबीआई के बीच के संबंधों को जाना तथा उनके मध्य होने वाले लेनदेन के प्रकार को समझा।
आशा करते हैं आपको यह आर्टिकल बहुत ही पसंद आया होगा इस आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत या आपके पास अन्य जानकारी हो तो हमारी वेबसाइट पर हमसे संपर्क कर बताएं। इसी प्रकार की अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट पर दिए गए अन्य आर्टिकल पढ़ें जो आपके बहुत ही काम के साबित हो सकते हैं।

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