Karl Marx Ka Janm Kab Hua Tha: विश्व के कई ऐसे महान व्यक्ति हैं जिनको आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कई ऐसी रचनाएं की है। जिनके माध्यम से आज भी लोगों को ज्ञान की प्राप्ति होती है। कार्ल मार्क्स भी एक ऐसे ही महान व्यक्ति हैं। जिन्हें आज के समय में भी लोग समाजवाद के प्रेरक मानते हैं। आज के आर्टिकल में हम आपको कार्ल मार्क्स का जन्म कब हुआ था (Karl Marx Ka Janm Kab Hua Tha) इसके बारे में डिटेल में जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
कार्ल मार्क्स कौन था?
कार्ल मार्क्स जो एक जर्मनी के अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ इतिहासकार राजनीतिक सिद्धांत कार और समाजशास्त्री थे इसके अलावा कार्ल मार्क्स को दार्शनिक,पत्रकार और वैज्ञानिक समाजवाद की पदवी भी मिल चुकी थी कार्ल मार्क्स जिन्होंने कानून के अध्ययन के लिए बोन विश्वविद्यालय जर्मनी में प्रवेश लिया था। 17 वर्ष की उम्र में इन्होंने कानून के अध्ययन में अपनी रुचि दिखाई।
बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश ले लिया उसके पश्चात कार्ल मार्क्स ने प्राकृतिक दर्शन पर शोध प्रबंधन करके लिखने की उपाधि सन 1839 से 1841 के बीच हासिल की कार्ल मार्क्स ने जेना विश्वविद्यालय में शाहिद और साहित्य और इतिहास के दर्शन के बारे में अध्ययन किया था और इसी समय वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए।
Karl Marx Ka Janm Kab Hua Tha: कार्ल मार्क्स का जन्म कब हुआ था?

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1888 को यहूदी परिवार में जर्मनी देश में हुआ था 1824 में इन्होंने और उनके परिवार ने ईसाई धर्म को स्वीकार करते हुए ईसाई बन गए 17 वर्ष की उम्र में इन्होंने अपने उच्च पढ़ाई के लिए Born विश्वविद्यालय मैं दाखिला लिया था।
कार्ल मार्क्स का शिक्षा के बाद का करियर
कार्ल मार्क्स की शिक्षा पूरी होने के पश्चात इन्होंने 1842 में उसी साल समाचार पत्रों के लिखने और संपादन का काम शुरू किया इन्होंने को लोन से प्रकाशित राइन समाचार पत्र के साथ लेखन और संपादक के तौर पर शामिल होने का फैसला किया।
उसके बाद इन्होंने क्रांति की विचारों के आधार पर प्रतिपादन और प्रसार करने के कारण इन्हें प्रकाशन से 15 महीने तक बाहर कर दिया गया जब इन्हें प्रकाशन से बाहर किया गया। तब इन्होंने वहां से पेरिस चले जाने का फैसला किया पेरिस जाकर इन्होंने नैतिक दर्शन के बारे में अलग-अलग प्रकार के कई लेख लिखे थे। 1845 में स्थान से निष्कासित होकर ब्रूसेल्स चले गये और वहीं उन्होंने जर्मनी के मजदूर सगंठन और ‘कम्युनिस्ट लीग’ के निर्माण में सक्रिय योग दिया।
1848 में मार्क्स ने पुन: कोलोन में ‘नेवे राइनिशे जीतुंग’ का संपादन प्रारंभ किया और उसके माध्यम से जर्मनी को समाजवादी क्रांति का संदेश देना आरंभ किया। 1849 में इसी अपराघ में वह प्रशा से निष्कासित हुए। वह पेरिस होते हुए लंदन चले गए और जीवन पर्यंत वहीं रहे। लंदन में सबसे पहले उन्होंने ‘कम्युनिस्ट लीग’ की स्थापना का प्रयास किया, किंतु उसमें फूट पड़ गई। अंत में मार्क्स को उसे भंग कर देना पड़ा। उसका ‘नेवे राइनिश जीतुंग’ भी केवल छह अंको में निकल कर बंद हो गया।
कार्ल मार्क्स की मृत्यु
‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ’ भंग हो जाने पर मार्क्स ने पुन: लेखनी उठाई। किंतु निरंतर अस्वस्थता के कारण उनके शोधकार्य में अनेक बाधाएँ आईं। मार्च 14, 1883 को मार्क्स के तूफानी जीवन की कहानी समाप्त हो गई। मार्क्स का प्राय: सारा जीवन भयानक आर्थिक संकटों के बीच व्यतीत हुआ। उनकी छह संतानो में तीन कन्याएँ ही जीवित रहीं।
निष्कर्ष
कार्ल मार्क्स जो बहुत ही ज्यादा चर्चित पुरुष रह चुके हैं। इन्होंने अपने जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना किया और लेखन को अपने जीवन में प्राथमिकता देते हुए कई प्रकार के ऐसे निबंध और पुस्तकें लिखी। जिन्हें आज भी पढ़कर लोग जागरूकता प्राप्त करते हैं साथ ही साथ खुद को मोटिवेट करने के लिए भी इनकी किताबें पढ़ी जाती है।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको Karl Marx Ka Janm Kab Hua Tha(कार्ल मार्क्स का जन्म कब हुआ था) के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी।
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