LKG क्या है?
शिक्षा हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण साथी होता है। शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान शिक्षा ग्रहण करता ही रहता है। उसे हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नया सीखने को मिल ही जाता है।
समय के साथ साथ दुनिया में अनेकों बदलाव हुए हैं। शिक्षा क्षेत्र में भी इसी प्रकार सैकड़ों बदलाव अपने आप ही आ गए या यूं कहें की इंसान की जरूरतों के अनुसार शिक्षा मैं बदलाव आता गया। किसी भी शिशु की पहली पाठशाला उसका घर होता है। और पहली शिक्षिका या शिक्षक शिशु की मां और बाप होते हैं। जन्म के समय से ही शिशु की मां उसे शिक्षा देना शुरु कर देती है, वह शिक्षा व्यवहारिक शिक्षा होती है जो शिशु की नींव मजबूत करने के लिए अति आवश्यक होते हैं, यह काम सिर्फ मां ही कर सकती है।
समय के साथ-साथ शिशु के दिमाग का विकास होता रहता है उसके साथ ही शिशु के शिक्षा में भी क्रमोन्नति होती रहती है इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे हैं शिशु की प्रारंभिक विद्यालयी शिक्षा के बारे में जिसे हम LKG (Lower Kindergarten) के नाम से जानते हैं।
LKG का पूरा नाम “Lower Kindergarten” होता है इस कक्षा में 3 से 4 साल के बच्चे पढ़ते हैं। जिसे हिंदी में हम बालविहार कक्षा के नाम से जानते हैं। यह वही उम्र और वही कक्षा होती है जहां से बच्चे अपने शिक्षा की शुरुआत करते हैं, तथा पेंसिल पकड़ना सीखते हैं। बाल विहार श्री बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत होती है। यहां से बच्चे लिखना सीखते हैं, व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करते हैं, बोलने के तरीके से वाकिफ होते हैं, बाहरी दुनिया से मिलना होता है, जो माहौल इन्होंने घर पर नहीं देखा होता है, उस नए माहौल में प्रवेश इसी कक्षा के दौरान हो जाता है।
LKG (Lower Kindergarten) एलकेजी में शिक्षा देने वालों में अधिकतम शिक्षिकाएं ही होती है, क्योंकि उन नन्हे मुन्ने बच्चों को संभालना उन्हें भली-भांति आता हो क्योंकि एक मां की अपने बच्चे का अच्छी तरीके से ख्याल रख सकती है। अपने बच्चों की जरूरतों को समझ सकती है। जो बच्चे अपने मन की बात अच्छे से नहीं समझा पाते शिक्षिकाएं उन्हें भी अच्छे तरीके से समझ लेती है, क्योंकि उनमें से अधिकतम शिक्षिकाएं मां ही होती है। तो उन्हें एक बच्चे की परवरिश करना भली-भांति आता है। इसलिए उन बच्चों को शिक्षा देने में भी उन शिक्षिकाओं को ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। और भी नन्हे मुन्ने बच्चे भी उन शिक्षिकाओं में अपने मां का रूप देखते हैं, और अपने मन में पनप रहे पढ़ाई के डर के भ्रम को भी जल्दी ही दूर कर लेते हैं, तथा उन शिक्षिकाओं के साथ अच्छे से घुलमिल जाते हैं। इस वजह से उन्हें घर से दूर अनजान विद्यालयों में पढ़ने लिखने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। क्योंकि उन बच्चों के आसपास का माहौल भी बहुत रंगीन हो जाता है वह बच्चे के जैसे सैकड़ों बच्चे आसपास में और होते हैं इस तरह से एक दूसरे को देखते देखते ही उन बच्चों का उस माहौल में ढल पाना बहुत आसान हो जाता है। इस कक्षा में इन छोटे-छोटे बच्चों के मानसिक विकास एवं शारीरिक विकास का खासतौर पर ध्यान दिया जाता है इन बच्चों को लिखने के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के तहत कविताएं सिखाई जाती है, रेखाचित्र बनवाए जाते हैं, जिसमें चित्र कारिता होती है, चित्र में रंग भरना सिखाया जाता है, इन सब गतिविधियों के कारण उन बच्चों का विद्यालय में मन लगा रहता है, तथा उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलता रहता है।
LKG (Lower Kindergarten) के बारे में बात करते हुए हम समझेंगे कि एलकेजी मैं और कौन-कौन सी गतिविधिया बच्चों को सिखाई जाती है। जैसा कि आप सब को बताया कि एलकेजी में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र 4 से 5 साल तक की होती है तो इस उम्र में बच्चे बहुत ही चंचल होते हैं पूरी तरह से विद्यालयी शिक्षा उन बच्चों को भ्रमित कर देती है बच्चे समझने में नाकाम रहते हैं क्योंकि उन बच्चों का उस उम्र तक दिमागी विकास नहीं हुआ होता है इसलिए उन्हें पढ़ाई लिखाई में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन सब बातों का खास ख्याल रखते हुए लगभग हर विद्यालयों में बाल विहार कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को अन्य गतिविधियों से भी वाकिफ कराया जाता है जिनमें खेलकूद भी शामिल है। बच्चों को सैर सपाटा कराया जाता है। बच्चों को सामान्य व्यवहारिक बातें बताई जाती है, बच्चों को खानपान की आदतों के बारे में सिखाया जाता है, अपने सहपाठी के साथ व्यवहारों को कैसे सुधारा जाए यह उन बच्चों की भाषा में सही सिखाया जाता है।
चूंकि बच्चे उस उम्र में पेंसिल पकड़ना सीखते हैं, इसलिए बहुत सारे अभिभावक भी विद्यालय में बच्चों का दाखिला कराने से पहले ही विद्यालयों के बारे में सामान्य जानकारियां तथा गतिविधियां सिखा देते हैं। पेंसिल पकड़ने से लेकर उठना बैठना, बातें करना, यह व्यवहारिक ज्ञान बच्चे की मां पहले ही बच्चों को दे चुकी होती है।
यह कक्षा में नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए एक बगीचे की तरह होती है, जैसे फूलों से भरा बगीचा तितलियों, भंवरों, जैसे अनेकों प्रकार की चिड़िया है, गिलहरियों और भी कई प्रकार के छोटे-मोटे जीवो का घर होता है, वह सब एक परिवार की तरह होता है, सभी एक दूसरे के लिए प्रेरणा और शिक्षा का स्रोत होते हैं। वैसे ही यह बगीचा (विद्यालय) भी उन नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए परिवार है, सभी बच्चे आपस में एक दूसरे से कुछ ना कुछ नया सीखते रहते हैं। इसी प्रकार यह कक्षा इन बच्चों की मूलभूत जरूरत होती है, इसी कक्षा के उपरांत इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई में नींव मजबूत होती है।
CONCLUSION
LKG के बारे में पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। आशा करता हूं मेरा आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इससे जुड़े अन्य कोई सवाल हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं ।इसी तरह के और आर्टिकल चाहिए तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए।