FPI Full Form In Hindi

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FPI क्या है?

FPI का पूरा नाम Foreign Portfolio Investment जिसका हिंदी अनुवाद ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेश’ है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में शायद ही हम सभी लोगों ने सुना हो, इसको समझने के लिए हम मुद्दे की गहराई तक पहुंचेंगे जिसमें आज हम जानेंगे कि यह पोर्टफोलियो क्या है कैसे काम करता है और इसके क्या क्या फायदे हमारे देश को हो रहे हैं।
आज का युग बहुत ही कम समय में बहुत ज्यादा तरक्की कर चुका है हमारे भारत की सैकड़ों कंपनियां विदेश में कारोबार कर रही है और विदेशों की सैकड़ों कंपनियां भी हमारे भारत में उसी तरीके से व्यापार कर रही है। इन दोनों का आपसी संबंध होना जरूरी है अगर किसी राष्ट्र ने अपनी कंपनियों को दूसरे देशों में पैर पसारे हुए विदेशी कंपनियों को भारत में रोक देती है तो यह हमारे लिए एक समस्या का मुद्दा बन सकता है।
इसलिए उन सभी राष्ट्रों के बीच आपसी संबंध अच्छे होने चाहिए और नियम और शर्तों में पहले से यह चीज आता है कि किसी भी राष्ट्र की कंपनी किसी भी देश में स्वतंत्रता पूर्व अपना निवेश कर सकती हैं तथा अपना व्यापार बढ़ा सकती हैं।
आज के समय में वॉलमार्ट, अमेजॉन, सैमसंग, सोनी, वोडाफोन, हुंडई होंडा जैसी नई कंपनी है। जो भारत में निवेश कर चुकी है तथा अपना व्यापार को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में सक्षम रही है। इन सभी बड़ी कंपनियों का व्यापार और उनका निवेश यह तय करता है कि उस कंपनी का कितना बड़ा पोर्टफोलियो हमारे यहां पर स्थित है।
जब कोई विदेशी कंपनी FDI का 10% से ज्यादा का हिस्सा खरीदती है, तो वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है अथवा वह उस कंपनी का पोर्टफोलियो हुआ, क्योंकि आमतौर पर देखा जाए तो यह बहुत कम समय के लिए होता है। इसे धन सर्जन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि कोई भी निवेशक अपने नुकसान और लाभ को देखते हुए कभी भी अपनी कंपनी के शेयर या बोंड बेचकर यहां से जा सकता है। Foreign Portfolio Investment अपने व्यवसाय के लिए मशीनरी और पौधों जैसी उत्पादक संपत्तियों में निवेश करते हैं। विदेशी संस्थागत निवेश देश के बोंड, म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसी वित्तीय प्रोपर्टी में अपना पैसा लगाते हैं। जो पूरी तरीके से सुरक्षित होते हैं।

जब कोई विदेशी कंपनी शेयर मार्केट में सूचित भारतीय कंपनी के शेयर खरीदती है, लेकिन उसकी हिस्सेदारी 10% से कम होती है तो उसे SBI कहा जाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शेयर और बोन के रूप में होता है। FPI investors अपने investment में अधिक निष्क्रिय स्थिति लेते हैं। FPI को निष्क्रिय Investor माना जाता है।
समय-समय पर सैकड़ों विदेशी कंपनियां भारत की कंपनियों में शेयर खरीदते रहते हैं यह सिलसिला काफी सालों से चलता रहा है जो शेयर मार्केट पर आधारित है। इस तरह से यह व्यापार बढ़ता बढ़ता लाखों करोड़ों की संपति तक पहुंच जाता है। इस प्रकार के सभी निवेश एफपीआई के अंतर्गत आते हैं जो कुछ सुरक्षित तथा कुछ रिस्की होते हैं। इसी प्रकार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा हजारों करोड़ रुपयों की संपत्ति का मुनाफा कमा चुकी है। ऐसे ही भारत सरकार द्वारा विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बहुत सारे आम कदम भी उठाए गए हैं। उन्हें समय समय पर उचित ऑफर भी प्रदान किए जाते रहे हैं।
conclusion
इसी प्रकार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश एक तरह से सभी देशों के लिए फायदेमंद साबित होते जा रहे हैं तथा यह उनके लिए कमाई का एक बहुत बड़ा स्रोत बनता जा रहा है। आशा करता हूं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इससे जुड़े अन्य कोई सवाल हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

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