RTE Full Form In Hindi

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RTE क्या है?

आज के समय में हम में से लगभग हर व्यक्ति ने RTE के बारे में पहले से सुन रखा होता है। जिसका मतलब होता है शिक्षा का अधिकार। यदि नियम बनाने के पीछे एक बहुत बड़ा मुद्दा यह था कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में से सैकड़ों हजारों बच्चे अपने शिक्षा से वंचित रह जाते थे। जिसका कारण उनकी आर्थिक मंदी था भारत सरकार ने इस समस्या का समाधान कुछ इस प्रकार ढूंढा कि उन्होंने 2009 में एक अधिनियम पारित कर दिया जिसका नाम रखा गया शिक्षा का अधिकार जिसे हम RTE के नाम से जानते हैं। इस अधिनियम के तहत बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा एक से कक्षा आठवीं तक मुफ्त पढ़ाने की योजना बनाई गई है। जिसके अंतर्गत बच्चों की एक आयु सीमा भी रखी गई है जो बच्चे 5 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु सीमा तक इस अधिनियम के तहत मुफ्त शिक्षा का लाभ ले सकते है।
चलिए जानते हैं शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना के अंतर्गत बच्चों को तथा अभिभावकों को किस प्रकार से फायदा हो रहा है।
RTE का पूरा नाम “Right to Education” है, जिस का हिंदी में अर्थ “शिक्षा का अधिकार” होता है।

हालांकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में पारित कर दिया गया था परंतु इसे लागू करते-करते 1 साल का समय लग गया था जिसे संपूर्ण भारत में 1 अप्रैल 2010 को लागू कर दिया गया था परंतु राजस्थान में यह अधिनियम 1 अप्रैल 2011 में लागू हुआ था जिसका कुछ अलग नाम रखा गया था “निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम”।
इस अधिनियम के तहत विद्यालयों में सूचना जारी कर दी गई है कि उनके विद्यालय में अध्ययनरत 25% बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जानी अनिवार्य है अगर ऐसा नहीं करता पाया जाता है कोई विद्यालय संस्थान तो उस संस्था की मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है। इस अधिनियम के तहत मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान रख देने के पीछे राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है। ऐसे विद्यालय जो इस योजना का विरोध करने के कारण सरकार द्वारा मान्यता रद्द कर दी गई और फिर भी वह संस्थान को चला रहे हैं तो ऐसी संस्था पर कानूनन कार्यवाही के तहत एक ₹1-100000 का जुर्माना देने का प्रावधान है।
इस योजनाओं के अंतर्गत अभिभावकों को भी ध्यान देना चाहिए कि सरकार द्वारा उन्हें कौन-कौन सी योजनाएं दी जा रही है तथा मुफ्त शिक्षा से संबंधित और कौन-कौन से मुद्दे हैं अथवा योजना है जिनका लाभ लिया जा सके।
मुफ्त शिक्षा अधिनियम के अनुसार अगर कोई विद्यालय संस्थान बच्चों का साक्षात्कार करता है या बच्चे के अभिभावकों का साक्षात्कार लेता है तो विद्यालय पर दंड स्वरूप ₹25000 का जुर्माना है अगर विद्यालय परिसर दोबारा वही गलती दौहराता आता है तो अगली बार उस विद्यालय पर दंड स्वरूप जुर्माना 25000 से बढ़ाकर 50000 तक का मान्य है।
शिक्षा का अधिकार प्रत्येक बच्चे के लिए मौलिक अधिकार है या यूं कहें कि यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इससे भारत में शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके तथा दूर दराज क्षेत्रों के बच्चे भी शिक्षा का लाभ ले सके।
conclusion
अगर आप इस अधिनियम को अच्छे से जान गए हैं तो यह जानकारी प्रत्येक लोगों तक पहुंच जाएं। जरूरतमंद लोगों को इस अधिनियम के बारे में समझाएं तथा जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजने में असमर्थ हैं। उन्हें इस अधिनियम के बारे में समझा कर उनकी सहायता करें।

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