DLC क्या है?
DLC का संबंध चिकित्सकीय क्षेत्र से संबंधित है,
नीचे दिए जाने वाले लेख में हम डीएलसी के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे और इसका पूरा नाम क्या है।
चिकित्सा विभाग के अंतर्गत आने वाला डीएलसी एक प्रकार का रोग जांच है जिस प्रकार से अन्य रोग जांच होते हैं। इसीजी सीटी स्कैन एक्स-रे m.r.i. इत्यादि इसी प्रकार से डीलसी भी एक रोग जांच है।
DLC एक प्रकार की खून जांच है, जिसके द्वारा मानव शरीर के रक्त में स्थित श्वेत रक्त कणिकाओं का पता लगाया जाता है तथा श्वेत रक्त कणिकाओं के गुणवत्ता के बारे में विस्तार पूर्वक जान सकते हैं। श्वेत रक्त कणिकाओं का कार्य हमारे शरीर में मौजूद बीमारी से लड़ना होता है जो हमारे शरीर में एंटीबॉडीज का काम करती है। शरीर में मौजूद सभी प्रकार के रोगों को रोकने तथा उनसे लड़ने का कार्य होता है। इसलिए हमारे शरीर में खून में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाओं का सही तरीके से कार्य करना भी अनिवार्य है तथा उनकी गुणवत्ता भी उच्च कोटि की होनी चाहिए।
डीएलसी कराने के कई प्रकार के उद्देश्य हो सकते हैं, वह शरीर में मौजूद बीमारी पर निर्भर करता है कि हमें डीएलसी क्यों करवाना अनिवार्य लगता है? चिकित्सक जरूरत पड़ने पर डीएलसी जांच का निर्देश देते है।
DLC का पूरा नाम:- “Differential Leukocyte Count” (डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट) होता है। DLC का हिंदी में अर्थ “विभेदक ल्यूकोसाइट गणना” होता हैं।
ल्यूकोमिया और एनीमिया जैसे अन्य रक्त संबंधित बीमारियों की जांच हेतु डीएलसी करवाया जाता है और किसी प्रकार का रक्त संबंधित इंफेक्शन हो जाता है, उसमें यह जांच सफल निर्देश देने का कार्य करती है।
इन सब के साथी खांसी सर्दी बुखार या पेशाब संबंधित रोगों की जांच के लिए भी डीएलसी करवाया जाता है।
श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर को अनेक प्रकार के रोगों से बचाने की कार्य करती है इसलिए इन कोशिकाओं का हमारे रक्त में बराबर मात्रा में होना जरूरी होता है। यह कोशिकाएं हमारे खानपान पर निर्भर करती है जिसके द्वारा इनकी गिनती कम या ज्यादा होती रहती है।
हमारे शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाएं भी पांच प्रकार की होती है जो इस प्रकार है:-
न्यूट्रोफिल: यह श्वेत रक्त कणिकाएं सबसे सामान्य होती है जिन का कार्य सूक्ष्म जीवों को रोकने का होता है।
लिंफोसाइट्स: यह कोशिकाएं बैक्टीरिया या वायरस को खत्म करने के साथ-साथ ही अपनी ऎसे कोशिकाओं नष्ट करती है जो पहले से रोगजनक जीवों से संक्रमित होती है।
मोनोसाइट्स: यह परजीवी और बैक्टीरिया को नष्ट करके शरीरी की रक्षा करता है।
बेसोफिल्स: शरीर में एलर्जी प्रतिक्रियाओं और अस्थमा के हमलो के वक्त एंजाइम जारी करता है।
इओसिनोफिल्स: यह शरीर के परजीवी, एलर्जी और सूजन से लड़ते है।
चिकित्सकों की सलाह से समय-समय पर हमारे शरीर के खून की जांच कराने पर हमें खून की गुणवत्ता तथा खून में मौजूद किसी भी प्रकार की बीमारी का पता लगाया जा सकता है, साथ ही उस बीमारी का निवारण पाने के लिए चिकित्सक हमें उचित इलाज मुहैया कराते हैं।
conclusion
डी एल डी एम सी रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाओं के बारे में जानकारी देती है। प्रत्येक व्यक्ति को इससे जुड़ी जानकारी होना आवश्यक है। हमें उम्मीद है, की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको पसंद आई होगी यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है तो वह हमें कमेट में पूछ सकता है।